आत्ममंथन

यूँहि बेवक्त कभी बारिश में भीग कर देखो वक्त की जेब से खुशियां चुरा कर देखो! कब तक सिकुड़ के जीते रहोगे कभी तो बाहों को फैला कर देखो! हमेशा शिकायत रहती है लोगों से कभी खुद की गलती सुधार कर देखो! यूँहि जिये जा रहे हो खुद के लिये थोड़ा वक्त जरूरतमंदों को देकर … Continue reading आत्ममंथन